कोजागिरी मराठी कविता | Koajagiri Marathi Poem

कोजागिरी मराठी कविता | Koajagiri Marathi Poem

शरद पौर्णिमेदिवशी चंद्र
दाखवी संपूर्ण सोळा कला…
अमृतमंथने जन्म घेई लक्ष्मी
म्हणे ज्ञानलालसा पाहू चला…
दुग्धामृताच्या नैवेद्याला
चंद्रकिरणांचा पवित्र स्पर्श…
ज्येष्ठापत्या औक्षण करूनी
‘अश्विनी’चा समृद्धी हर्ष…
बौद्ध,कुमार,नवान्नपौर्णिमा
कुठे प्रचलित माणिकेथारी…
ज्ञान,बुद्धी वृद्धिंगत करिते
कौमुदीजागर कोजागिरी…
             — पूनम जगताप 
©Poonam_jagtap

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