आगाज हिंदी कविता | The Beginning Hindi Poem
तुम बदलो या ना बदलो
वो तो बदलती रहेगी…
खुदकी प्रबलता जिंदगी
सब कुछ बदलकर कहेगी…
ना कल का पता हैं
ना ही अगले पल का…
अंदाजा भी ना लगा पाए
खेल कैसा ये छल का?
साँसों मे कैद जिंदगी
जिंदगी में कैद एहसास…
दाँव पे लगा हैं वजूद
जिसकी डोर ना खुद के पास…
सबको झुकाकर तूने
बुद्धिमानी का इतिहास बुना…
इंसानियत भूलाई जिस दिन
अपनी बर्बादी का रास्ता चुना…
वो तो देकर भी देखती हैं
और कभी छीन के लेकर भी…
कुछ ना कर पाते हो तुम
सबकुछ तेरे पास होकर भी…
जीवन की अमूल्यता को
तुम यूँ ना नजरअंदाज करो…
समय रहते सुधारो खुद को
नये बदलाव का आगाज करो…
—पूनम जगताप
©Poonam Jagtap